राहुल ने मोदी को पत्र लिखकर अपील की / शहर छोड़कर गांव जा रहे लोगों को रोकिए, ये लोग वहां जाकर बुजुर्गों और बच्चों को बीमार कर देंगे
नई दिल्ली: कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री ने देश में 21 दिन का लॉकडाउन किया है। रविवार को लाॅकडाउन का 5वां दिन है। दिल्ली समेत दूसरे शहरों से बड़ी संख्या में लोग लॉकडाउन का उल्लंघन कर अपने घर वापस जा रहे हैं। इसे देखते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।
उन्होंने लिखा, डियर प्रधानमंत्री, मानवीय संकट की घड़ी में, मैं और लाखों कांग्रेस कार्यकर्ता आपके साथ खड़े हैं। कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए प्रत्येक कदम के साथ हम सहयोग कर रहे हैं।
दुनिया कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए तेजी से सख्त कदम उठा रही है। जबकि हमारे यहां तीन हफ्तों का लॉकडाउन किया गया है। मैं आपसे प्रार्थना करता हूं कि पूरे देश में ठीक से लॉकडाउन कीजिए और लोगों को, समाज और देश की अर्थव्यवस्था को बचाने पर विचार कीजिए। हमारे लिए यह समझ पाना मुश्किल है कि भारत की स्थिति अलग है। इसलिए हमें अलग कदम उठाने और रणनीति बनाने की जरूरत हैं। देश में करोड़ों की संख्या में गरीब लोग हैं। ये सब अपनी दिहाड़ी मजदूरी के भरोसे रहते हैं। ऐसे में सभी तरह की आर्थिक गतिविधियां बंद करना उचित नहीं।
सरकार के लिए लोगों तक वास्तविक पहुंच सुनिश्चित करने पर विचार करना बहुत जरूरी है। हमारी पहली प्राथमिकता ही बच्चों और बुजुर्गों को वायरस के संक्रमण से बचाना है। आज लाखों की संख्या में बुजुर्ग गांवों में रहते हैं। ऐसे में लॉकडाउन का मतलब सबकुछ बंद कर देना। इससे देश हमारा इकोनॉमिक इंजन बंद हो जाएगा। लोग बेरोजगार होकर अपने गांवों में घर की ओर भागेंगे। इससे संक्रमण का खतरा और बढ़ेगा। लोग वहां जाकर अपने माता-पिता, बुजुर्गाें और बच्चों में वायरस फैलाएंगे। यह जिंदगी के लिए घातक हो सकता है।
हमें तुरंत सामाजिक सुरक्षा तंत्र विकसित कर गरीबों के शेल्टर बनाने के लिए जन संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए। सरकार द्वारा उठाए गए आर्थिक राहत के कदम बहुत महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इन्हें शीघ्र अमल में भी लाना होगा। बड़ी संख्या में लोगों के लिए हजारों बेड वाले अस्पताल, वेंटिलेटर्स तैयार करने होंगे। यह कठिन हैं, लेकिन जितनी जल्दी हो सके, हमें जरूरत की सभी चीजें जुटानी होंगी।
सरकार द्वारा तुरंत लॉकडाउन का कदम परेशानी और उलझाने वाला था। इससे हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर प्रभावित हुए। फैक्ट्रियां, कंस्ट्रक्शन साइट और लघु उद्योग बंद हो गए। इसमें काम करने वाले अपने घरों को किराया नहीं दे पाए और वह घरों को खाली करने पर मजबूर हुए हैं। सरकार ऐसे लोगों को तुरंत आर्थिक सहायता दे, ताकि वे घरों को किराया दे सकें। सरकार को बेरोजगारों के खातों में सीधे रुपए ट्रांसफर कर मदद करनी चाहिए।
मौजूदा परिस्थितियों में आर्थिक रणनीति बनाना और वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सुरक्षा दीवार बनाना कठिन है। इसमें कुछ हफ्ते और लगेंगे। हमारी अनौपचारिक अर्थव्यवस्था और विशाल नेटवर्क छोटे और मझोले व्यापार व किसानों के योगदान से खड़ी है। हमें इनके साथ पूरे विश्वास के साथ खड़ा होकर समय रहते सब ठीक करना है।
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